#सामान्य हिन्दी साहित्य और व्याकरण , प्रतियोगिता परीक्षाओं हेतु - भाग प्रथम #
सामान्य हिन्दी - पार्ट १ भाषा विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम है। भाषा के माध्यम से मनुष्य समाज के अन्य लोगों से भावों एवं विचारों का आदान-प्रदान करता है। लोगों के बीच होने वाले विचारों का आदान-प्रदान 'संप्रेषण ' कहलाता है। अपनी बात दूसरों तक संप्रेषित करने के लिए ताली बजाना,इशारों, अस्पष्ट ध्वनियों का सहारा लिया जाता है। मनुष्य संप्रेषण के लिए सबसे अधिक जिस माध्यम का सहारा लेता है, वह भाषा है। ध्वनियों के सार्थक मेल से शब्द बनता है। जैसे - कलम शब्द है लेकिन 'मलक' कोई शब्द नहीं है क्योंकि इसका कोई अर्थ नहीं है। शब्दों के सार्थक मेल को वाक्य कहते हैं । जैसे - राम आम खाता है। खाता राम आम कोई वाक्य नहीं है। भाषा उस साधन को कहते हैं जिसके द्वारा मनुष्य अपने भावों और विचारों को लिखकर या बोलकर प्रकट करता है। भाषा केवल मनुष्य के मुख से उच्चरित रुप को ही कहते हैं। यह एक सामाजिक व्यापार है। भाषा के दो रुप होते हैं। १.उच्चरित या मौखिक भाषा २.लिखित भाषा १.उच्चरित भाषा, बोल-चाल का रुप है। यह जन्मजात होता है। इसकी आधारभूत इकाई 'ध्वनि' है। इसका प्रयोग तभी किया जाता है ज