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Showing posts from September, 2020

#सामान्य हिन्दी साहित्य और व्याकरण , प्रतियोगिता परीक्षाओं हेतु - भाग प्रथम #

सामान्य हिन्दी - पार्ट १ भाषा विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम है। भाषा के माध्यम से मनुष्य समाज के अन्य लोगों से भावों एवं विचारों का आदान-प्रदान करता है। लोगों के बीच होने वाले विचारों का आदान-प्रदान 'संप्रेषण ' कहलाता है। अपनी बात दूसरों  तक संप्रेषित करने के लिए ताली बजाना,इशारों, अस्पष्ट ध्वनियों का  सहारा लिया जाता है। मनुष्य संप्रेषण के लिए सबसे अधिक जिस माध्यम का सहारा लेता है, वह भाषा है। ध्वनियों के सार्थक मेल से शब्द बनता है। जैसे - कलम शब्द है लेकिन 'मलक' कोई शब्द नहीं है क्योंकि इसका कोई अर्थ नहीं है। शब्दों के सार्थक मेल को वाक्य कहते हैं । जैसे - राम  आम खाता है।   खाता राम आम कोई वाक्य नहीं है। भाषा उस साधन को कहते हैं जिसके द्वारा मनुष्य अपने भावों और विचारों को लिखकर या बोलकर प्रकट करता है। भाषा केवल मनुष्य के मुख से उच्चरित रुप को ही कहते हैं। यह एक सामाजिक व्यापार है। भाषा के दो रुप होते हैं। १.उच्चरित या मौखिक भाषा २.लिखित भाषा १.उच्चरित भाषा, बोल-चाल का रुप है। यह जन्मजात होता है। इसकी आधारभूत इकाई 'ध्वनि' है। इसका प्रयोग तभी किया जाता है ज

#सरकार की प्राथमिकता क्या हो ? - नर्मदेश्वर मिश्र के विचार#

उम्मीद है दोस्तों भारत चीनी कोरोना के साथ साथ चीनी सैनिकों को भी धूल चटाएगा। पर हमारे राजनीतिक नेतृत्व को गिरती हुई अर्थव्यवस्था और घटते हुए रोजगार के अवसर पर भी ध्यान देने की जरूरत है। मीडिया को भी रिया और कंगना के खबर के अलावा सरकार को गिरती हुई आर्थिक वृद्धि दर , और बेरोज़गारी के समस्या पर सचेत करना चाहिए। भावनात्मक मुद्दे से ज्यादा हमेशा आर्थिक मुद्दों पर मीडिया को ध्यान देना चाहिए किंतु एक दूसरे से आगे बढ़ने और TRP के चक्कर में सारी मीडिया मसालेदार , विवादास्पद , सनसनी फैलाने वाले खबरों पर बल देती हैं । इसका परिणाम होता है कि शिक्षा , आवास, चिकित्सा , किसान ,मजदूर , छात्र ,बेरोज़गारी , औद्योगिकरण , बुनियादी ढांचा का विकास , क्षेत्रीय असुंतलन , जैसे मुद्दे खत्म होते जा रहे हैं । चुनाव भी केवल जातीय समीकरणों , सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और भावनात्मक मुद्दों पर हो जाती है। भ्रष्टाचार , कीमत में वृद्धि , बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर बात तो की जाती है पर आरोप प्रत्यारोप का दौर चल पड़ता है , और नेतागण निकल पड़ते हैं यह साबित करने में की तू बेईमान , मैं ईमानदार।  जमीनी स्तर पर आप किसी भी सरकारी

#English Vocabulary for General Competitions Part 1#

Vocabulary made easy  1. Abash   To make ashamed,to embarrass (लज्जित होना) 2 . Abate  To subside,to reduce (कम करना) 3. Abdicate Renounce, to step down from a position of power or responsibility (सिंहासन का त्याग करना,त्याग करना ) 4. Aberration Something not typical,a deviation from the standard ( थोड़ा सा अलग ) 5. Abhor To hate very much,to detest (घृणा करना)  6. Abject Hopeless, extremely sad servile, defeated ( निराश,अधम,नीच) 7. Abnegate  To reject,to renounce (त्याग देना) 8.Abortive  Unsuccessful (असफल) 9. Abridge To shorten,to condense (छोटा करना) 10. Absolute Total, unlimited, perfect (एकदम वही , संपूर्ण) 11. Absolve To forgive,free from blame (माँफ करना,दोष से मुक्त करना 12. Abstinent Abstaining, voluntarily not doing something (छुटकारा पाना ) 13. Abstract Theoretical, impersonal (अमूर्त , सैद्धांतिक ) 14.Abstruse Hard to understand (जटिल,कठिन) 15 . Abysmal  Extremely hopeless, wretched, bottomless, ver bad (बहुत ही खराब ) 16. Accolade Award ,an honour, (इनाम देना) 17. Accost T

# Support SSC Railways Students. #

चोर ना चौकीदार  हम हैं बेरोजगार नोटबंदी का किया समर्थन स्वीकारा GST का परिवर्तन आर्टिकल 370 हटी तो खुश हुए राम मंदिर से दिल के दिए  जले ट्रिपल तलाक हटाकर आश जगाई मोदी ने मुस्लिम बहनों को विजय दिलाई सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट  पाकिस्तान को दिया जबरदस्त चोट डोकलाम में चीन को दिया मात पर Ladakh में चीनियों ने किया आघात पुलवामा में पाकिस्तान की साज़िश सफल हुई जीडीपी माइनस 24% गिरी अर्थव्यवस्था का हुआ बुरा हाल  5 Trillion ki धीमी हुई चाल बेरोजगारों का सुनकर बिलाप नर्मदेश्वर खुश कैसे हो सकते आप? SSC Railways में भ्रष्टाचार छात्र कर रहे चीत्कार सरकारी नौकरी की संख्या घटी 12.5 अरब रुपए 2.5 करोड़ छात्रों की कटी SSC CGL के रिज़ल्ट का पता नहीं महामारी में IIT aur NEET ka Exam है क्या सही? Rrb Group D के exam टले ALP ki नियुक्ति सरकारी फाइलों में गले प्राइवेट टीचर्स का नहीं है परिवार कर दो उनका बंटाधार उनको सरकारी मदद की जरूरत नहीं मोदी के शिक्षक गुणगान से सब होगा सही भाषण से ज्यादा जरूरी है राशन नीति निर्माण से ज्यादा जरूरी प्रशासन वादा प्रतिवर्ष 2 करोड़ को रोज़गार लेकिन बेरोजगारों का फिर क्यों